Tuesday, 30 September 2014

Introductory Blog

मनुषय के कर्म उसकी ऊर्जा का प्रतिरूप होते हे । यह  predetermined, होते हे जो हमारे द्वारा किये जाते हे ।
 जेसे जेसे हम कर्म करेगे उसकी छाया हमारे लिये ही बढ़ती जायेगी । यदि हमारे द्वारा सद्कर्म किये जायेगे तो उसकी छाया अक्षुण्णु होगी व हमे विपरीत समय मे शीतलता प्रदान करेगी, यदि हमारे द्वारा बुरे कर्म किये जायेगे तो हमारी बुध्ही उसी छाया के द्वारा भस्म हो जायेगी।
छाया दोनो ही प्रकार से उत्पन्न होगी निर्णय हमारा होगा ।
॥आपके कर्म मन्गल्मय हो॥
दिव्य तथा भव्य आत्मिक कवच ----------- गायत्री मन्त्र....
आज के युग मे जिस स्थान पर हम रहते हे, वहा कई अद्रश्य तरन्गे हमारे आसपास विचरण करती हे । ये क्रत्रीम रेडीएशन हमे  प्रभावित करता हे इससे हमारे मन व मस्तिषक पर एक बुरा प्रभाव पडता हे लेकीन हम लोग इस जीवन के आदि हो चुके हे इसके बिना हमारा जीवन असन्भव ही जान पडता हे ।
हाल ही मे अमेरीकी वेज्ञानिक सन्स्थान नासा ने यह अधिकारीक रूप से घोषित किया हे कि
सूर्य मे से “ऊॅ” की ध्वनि   निकलती हे जो की हमारे ऋषीयो ने पहले से ही हमे बता रखा हॆ।
ऒर वह दिन भी दूर नही जब गायत्री मन्त्र के उच्चारण से उत्पन्न कन्पन को भी स्वीकार कर लिया जायेगा ।
माता गायत्री के मन्त्र का ध्यान – साधना करने से साधक की देह एक अमोघ कवच प्राप्त करती हॆ।
इस मन्त्र का सवा लाख की सन्खया मे जाप 41 दिनो मे पूर्ण करने पर हमारे शरीर को सूक्ष्म ऊर्जा का भण्डार प्राप्त होता हे ।
इसके अतिरिक्त इसके जाप से हमारी ऒरा (तेज़) मे भी व्रधि होती हे ।
गायत्री मन्त्र का जाप दोनो नवरात्रा मे 9 दिनो मे 24 हजार जप, दीपावली के पावन अवसर पर धन त्रयोदशी से भाई दूज तक 15 हजार जप एक वरषीय गायत्री जप तथा समय आभाव के कारण पूरे मनोयोग से 7, 11, 21 व 51 बार गायत्री मन्त्र के जाप से दिव्यानूभुति प्राप्त करते हे ।
यदि जातक अपने कार्यालय मे उत्पन्न क्लेश पारिवारिक कलह पदोन्नति मे अवरोध मानसिक तनाव या कम आमदनी व खर्चा अधिक समस्याऒ से पीडीत हे तो उसे विविध देवताऒ के साथ समिश्रण गायत्री मन्त्र  के जाप से सदा के लिये उस सन्कट से मुक्ति मिल जाती हे ।

इस बार नवरात्र मे करे देशव्यापी उन्नति के लिये प्रार्थनाः-
यह मानवता का नियम हे कि हम सब लोग किसी ना किसी रूप मे अपने निजि हितो को साधते हे,
चाहे वह भॊतिक हो या सन्सारिक । हमारी प्रार्थनाये भी स्वय्म तथा अपने परिवार तक सिमित रहती हे । हम लोग आज बडे हर्शोल्लास से मा भगवती का पर्व मना रहे हॆ।
इसे सन्योग ही कहा जायेगा की हमारे देश के “मनग्ल यान “ ने नवरात्रा के  दिनो मे ही मन्गल की कक्षा मे प्रवेश करके भारत को नया इतिहास रचने का अवसर दिया हे । जेसा की आप सब जानते हे मन्गल को धरती-पुत्र की सन्ज्ञा दी गई हे  तथा किसी की कुन्डली मे मनगल ग्रह के अशुभ होने पर एक ज्योतिषी के द्वारा मा दुर्गा से सन्बन्धित उपाय करने को कहा जाता हे ।
तो क्यु ना हम सब मिलकर इन नॊ दिनो मे मा भगवती से प्रार्थना करे की “ मन्गल यान “ जल्द से जल्द सफ़लता पूर्वक अपने निश्चित समय पर मन्गल ग्रह पर पहुचे, भारत गॊरवान्वित होगा तो हम सब गॊरवान्वित होगे।
“मन्गल यान” से जुडे सभी वेज्ञानिको को हार्दिक शुभकामनाये ।
मा आध श1क्ति सभी के मनोरथ पूर्ण करे ।
ईश्वर मनुषय के सुखो का प्रदाता हे, उसके पास अनन्त भण्डार हे ।
ईशवर से कुछ चाहिये तो दोनो हाथ जोडकर कुछ मान्गो । पर उसके द्वारा प्राप्त आशीर्वाद सदेव एक हाथ से ही ग्रहण करो एक हाथ खाली रखो क्योकी वह एक हाथ से देता हे तो दुसरे हाथ से लेता भी तो हे इससे प्रक्रति का सन्तुलन बना रहता हे । अतएव यदि हम एक हाथ खाली रखेगे तो हमारा सन्तुलन बना रहेगा ।
ईश्वर के इस चक्र को पूर्ण करने मे मदद करे, आप भी दुसरे हाथ से दुसरे मनुषयो की मदद करे ।

सन्तोषी सदा सुखी


2 comments:

  1. Ji Bahan ji, kaafi Gyaan ki bate Batai hai aap, Bhagwan kar aap Dirghayu ho ......._/\_........ æ

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  2. thank you for your valuable compliment.. bhai j

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